मृत्यूच्या दाढेतील पत्रकाराची कैफियत

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मैं जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा हूँ. अभी कितने दिन और लड़ सकता हूं मौत से, मालूम नहीं. वैंटिलेटर पर कार्डियोलोजी आईसीयू पीजीआई में मुझे रखा गया था, जहां सिर्फ़ मौत के सिवा मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया. कल देर शाम मुझे डिस्चार्ज किया गया. डॉक्टर ने यह कहा कि अगर हृदय का दर्द रुक गया, बीपी नार्मल हुया और इन्फेक्शन के साथ साथ हृदय व चेस्ट की इन्फेक्शन नियंत्रित हो गयी तो एक माह देखने के बाद मेरी ऑपन हार्ट सर्जरी कर देंगे वरना मौत के सफ़र की तैयारी शुरू हो गयी है.
 
मुझे अफ़सोस कि मेरी सहायता के लिए, मेरी जिंदगी बचाने में किसी ने सहयोग नहीं दिया. हाँ, जिन्होंने साथ दिया वे मेरे परिवार के साथ हर क्षण बहुत ही संपर्क में रहे और उन्होंने अपनी हैसियत से अधिक सहयोग भी दिया. मैं सभी शुभचिंतकों का आभारी हूँ. कुछ पत्रकारों ने तो हरियाणा सरकार की चापलूसी शुरू कर दी. झूठी खबरें छाप कर वाहवाही लूटनी शुरू कर दी. मेरा किसी भी पत्रकार संगठन से कोई सरोकार नहीं और किसी अभी तक किसी से कोई मदद नहीं मिली और ना मैंने मांगी.. सिर्फ मेरे मित्रों, पत्रकार भाइयों जिनसे मेरे निजी संबंध भी हैं ने और उन शुभचिंतकों ने ही मदद की जिनसे मुझे और मेरे परिवार को उम्मीद थी.
 
गलती के लिए क्षमा.
पत्रकार एस.पी.भाटिया,दिल्ली

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